कैसे करें वशीकरण...?
वैसे तो वशीकरण एक असामान्य विद्या है परंतु यह एक विज्ञान ही है। इस विद्या को पाना मुश्किल ही सही परंतु असंभव नहीं है। अधिकतर लोग सोचते हैं कि वशीकरण किया कैसे जाए...? सभी को किसी ना किसी को अपने वश में करना है। कर्मचारी चाहता है कि उसका बॉस उसके वश में हो और उसे जब चाहे छुट्टी मिल जाए... पत्नी सोचती है पति वश में रहे, यही सोच पति की भी होती है... कोई सोचता है मेरे सभी दोस्त में वश हो जो मैं बोलू सभी वैसा ही करें... लड़कों को लड़कियों को वश में करना है तो लड़कियों को लड़के अपने वश में चाहिए। सामान्यत: ऐसे ही सोच सभी की हैं। वशीकरण है क्या...? यही कि जो आप बोले, जो आप चाहे... वह ही हो जाए।
तो वशीकरण के लिए सबसे जरूरी है ध्यान...। एक जगह, एक बिंदू, एक स्थान, किसी भी उस वस्तु पर जिसे अपने वश में करना हो उसके लिए अपना मन केंद्रित करना ही ध्यान है। ध्यान से आपके शरीर में अद्भूत ऊर्जा का विकास होगा। भगवान शिव के बारे सभी जानते ही हैं वे युगों-युगों तक ध्यान में रहते हैं। प्राचीन काल में सभी ऋषिमुनि ध्यान में ही अपना समय व्यतीत करते थे जिसके फलस्वरूप वे तेजस्वी हो गए। और जितना अधिक से अधिक ध्यान या मेडिटेशन करेंगे तो आप पाएंगे कि आपके चेहरे पर एक तेज विद्यमान हो गया है, एक खुशी, एक मधुर मुस्कान सदा आपके चेहरे पर खिली दिखाई देगी, आपका व्यक्तित्व निखर जाएगा, आपके चलने, बोलने में आत्मविश्वास दिखाई देगा। जब ऐसा होने लगेगा तो जब आप बोलना शुरू करेंगे वहां सभी आपको ही सुनते दिखाई देंगे, आपकी मधुर मुस्कान और चेहरे की चमक के आगे आपका बॉस, आपका जीवन साथी, आपके मित्र आसानी से आपका कहा मान लेंगे। बस यही है वशीकरण का आसान और सुगम मार्ग।
अचूक टोटके: यदि चन्द्र हो दुष्प्रभावी
टोने-टोटके सदैव से ही मनुष्य की जिज्ञासा का केन्द्र रहे हैं। टोटका यानि ऐसा जुगाड़ जो कम समय, श्रम और खर्चे में ही हमारा मन चाहा कर दे। ये टोटके जीवन के हर क्षेत्र में हमारे मददगार या सहायक बनकर हमारा काम आसान करते हैं। यहां हम ऐसे ही एक अचूक टोटके की प्रयोग विधि जानेंगे। अच्छे-बुरे समय की तरह जीवन में ग्रहों के प्रभाव भी अच्छे-बुरे बदलते रहते हैं। यदि किसी की राशि में चन्द्र ग्रह का दुष्प्रभाव पड़ रहा हो तो उसे जो सरल और असरदार उपाय करना चाहिये वह इस प्रकार है-
१. यदि सम्भव हो तो चांदी के बर्तन में अन्यथा तांबे के बर्तन में दूध भरकर रात को अपने पलंग यानि बेड के सिरहाने रखें और सूर्योदय से पूर्व उस दूध को कीकर अथवा पीपल के पेड़ की जडा़े में चढ़ा दें। २. सोमवार के दिन व्रत रखें, सम्भव हो तो उस दिन शिव आरधना के बाद में सिर्फ फलाहार ही ग्रहण करें।३. किसी जानकार और विश्वसनीय व्यक्ति से ५ रत्ती का बढिय़ा क्वालिटी का मोती प्राप्त करके उसे चांदी की अंगूठी में बनवा लें। इस अंगूठी को चंन्द्र मंत्र से अभिषिक्त कर सोमवार के ही दिन दाहिने हाथ की कनिष्ठा अंगुली में धारण करें।४. सोमवार के दिन जरूरतमंदों, अनाथों, पशु-पक्षियों एवं बुजुर्गों की यथाशक्ति सेवा अवश्य करें।५.मन, वचन और कर्म तीनों से ईमानदार और पवित्र रहने का हर संभव प्रयास करें। इन प्रयोगों के पूरे नियम पूर्वक करने पर मात्र सात सप्ताहों में ही स्पष्ट प्रभाव दीखने लगता है।
अचूक टोटके: ग्रह शान्ति के लिये
यदि सूर्य हो दुष्प्रभावी - वैसे तो सूर्य एक तारा है किन्तु हमारे जीवन पर का इसका बड़ा गहरा और स्थाई प्रभाव पड़ता है। यदि कहैं कि पृथ्वी का सारा जीवन ही सूर्य पर ही निर्भर है तो बिल्कुल भी अनुचित नहीं होगा। इंसान के शरीर में आखें, कलेजा, हड्डी, इड़ा नाड़ी, शारीरिक गठन, बुद्धि, मानसिक स्वास्थ्य, सिर दर्द, बुखार, टी. वी., मधुमेय, अतिसार, फेफडा़ तथा ह्रदय संबंधी रोगों का भी यही कारक ग्रह है।
जिस जातक की राशि में सूर्य ग्रह दुष्प्रभावी हो वह यदि इन जांचे-परखे अचूक टोटकों को पूरे विश्वास के साथ अपनाए तो निश्चित रूप से लाभ पहुंचता है।
कुछ अति महत्वपूर्ण एवं आजमाए हुए टोटके इस प्रकार हैं:
१. कोई महत्वपूर्ण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व तथा कहीं यात्रा पर निकलने से पूर्व थोड़ा गुड़ खाकर तथा पानी पीकर ही निकलें।
२. हरिवंश पुराण का पाठ करें का सुने ।
३. रविवार के दिन नमक का सेवन न करें हो सके तो पूरा उपवास रखें । इस दिन सफेद कपड़े ही पहने।
४. दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली में ५ रत्ती का उत्तम किस्म का माणिक्य सोने या तांबे की अंगूठी में पहने। यह अंगूठी रविवार के दिन प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में ही पहने ।
५. क्षमता के अनुसार तांबे के दो टुकड़े लाकर एक को रविवार के दिन बहती हुई नदी में बहा दें।
६. रविवार के दिन किसी एक गरीब की सेवा अवश्य करें ।
अतिप्राचीन है सम्मोहन कला
आज हम सम्मोहन, वशीकरण जैसे शब्दों को सुनकर किसी जादु की अनुभूति करते हैं। सम्मोहन एक विद्या है। जिसे जागृत करना
सामान्यत: आज के मानव के अति दुष्कर कार्य है। सम्मोहन विद्या का इतिहास आज या सौ-दो सौ साल पुराना नहीं बल्कि सम्मोहन
प्राचीन काल से चला रहा है। श्रीराम और श्रीकृष्ण में सम्मोहन की विद्या जन्म से ही थी। वे जिसे देख लेते या कोई उन्हें देख लेता वह
बस उनकी माया में खो जाता था। यहां हम बात करेंगे श्रीकृष्ण के सम्मोहन की। श्रीकृष्ण का एक नाम मोहन भी है। मोहन अर्थात
सभी को मोहने वाला। श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व और सुंदरता सभी का मन मोह लिया करती है। जिन श्रीकृष्ण की प्रतिमाएं इतनी सुंदर है वे खुद कितने सुंदर होंगे। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में सम्मोहन की कई लीलाएं की हैं। उनकी मधुर मुस्कान और सुंदर रूप को
देखकर गोकुल की गोपियां अपने आप को रोक नहीं पाती थी और उनके मोहवश सब कुछ भुलकर बस उनका संग पाने को लालायित हो जाती थी। श्रीकृष्ण ने माता यशोदा को भी अपने मुंह में पुरा ब्रह्मांड दिखाकर उस पल को उनकी याददाश्त से भुला दिया बस यही
है सम्मोहन। श्रीकृष्ण जिसे जो दिखाना, समझाना और सुनाना चाहते हो वह इसी सम्मोहन के वश बस वैसा ही करता है जैसा श्रीकृष्ण चाहते हैं। ऐसी कई घटनाएं उनके जीवन से जुड़ी हैं जिनमें श्रीकृष्ण के सम्मोहन की झलक है।
शुक्र-शनि बनाएंगे अभिनेता
शुक्र और शनि यदि यह दोनों ग्रह एक साथ प्रबल हो तो जातक अभिनय जगत में उत्कृष्ट नाम कमाता है तथा धन, वैभव,
ऐश्वर्य सम्मान प्राप्त करता है। शुक्र अभिनय जगत का कारक ग्रह है तथा शनि लौह तत्व का कारक है। जो डायरेक्टर,
एडीटर तथा अन्य तकनीकि कलाकारों का सहयोग करता है।
कैसे निखर सकती है अभिनय प्रतिभा?आप सिने जगत में है कार्य भी कर रहे हैं और फिर भी आपके अभिनय को सराहा
नहीं जा रहा है या सफलता नहीं मिल रही है तो निम्न उपायों पर अमल कीजिए आपको लाभ होगा:- अपने वैभव का
उच्चतम प्रदर्शन कीजिए। ग्लैमर दिखाइए।- हीरे के गहने धारण कीजिए।- शनि का नग नीलम पहनें।- नीली स्याही से
गर्दन पर ऊँ का चिन्ह या टेटू बनवाइए।- नीले रंग की कार इस्तेमाल कीजिए।- अधिकतम काले वस्त्र पहनिए।- खाने में अधिकतम शाकाहारी भोजन ग्रहण करें।
स्त्री की कुंडली में कालसर्प,क्या उपाय करे?
यदि किसी कन्या कि कुण्डली कालसर्प दोष से ग्रसित हो जाए तो,उसे स्वपन में सर्प दिखाई देते है। असमंजस की स्थिति रहती है। प्रमोशन ,नौकरी, शादी, संतान सभी क्षेत्रो में देरी एवं परेशानी होती है। ऐसा क्यों होता है? शास्त्र कहता है।
'पूर्व जन्मकृतं पापं व्याधिरुपेण बाधते।
तत् शांतिरोषधैदानै: जप श्राद्धादि कर्मभि:।।
अर्थात् पूर्व जन्म में किए पाप इस जन्म में बाधा उत्पन्न करते हैं। उनकी शांति दान, जाप, श्राद्ध आदि पूजन से होती है। इसलिए पूजन कर्म कर काल सर्प दोष शांत किया जाता है।
जो कोई पूजन कर्म करवाने में सक्षम न हो वह निम्न उपाय द्वारा भी कालसर्प से राहत पा सकता है।
1. यदि स्त्री की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे पीपल के वृक्ष की तीन सौ दिन में 28 हजार परिक्रमा करनी चाहिए।
2. शिवलिंग पर तांबे का नाग ब्रह्ममुहूर्त में चढ़ाएं। चांदी का नाग-नागीन नदी में बहाएं।
३. नवनाग स्तोत्र का पाठ करें।
४. शिव उपासना लघु रुद्र का पाठ कराएं।
५. बुधवार या शनिवार को भिखारी को कंबल, उड़द, मूंग का दान करें।
६. एक साबूत तरबूज लेकर पानी के किनारे जोर से पटक दें।
७. शनिवार को कुत्ते को बिस्किट खिलाएं।
राशि के अनुसार रोगो का उपचार ।
अनादि काल से मनुष्य रोगो बिमारियों से त्रस्त रहा हं। कभी रोगो के लक्षण पकड़ में आ जाते हं,तथा कभी बिमारी का कारण पता हि नहंी चलता । अच्छे सा अच्छा चिकित्सक भी मरीज को स्वस्थ्य करने में असमर्थ होता हं। ज्योतिष शास्त्र में इस तरह के रोगो के उपचार के उपाय बताऐं गयें हैं। अपनी राशि के अनुसार यदि निम्र उपचारो को अपनाया जाए तो शीघ्र हि स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता हं।
मेष राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
वृषभ राशि - काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।
मिथुन राशि - रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
कर्क राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले,सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।
सिंह राशि- रोजाना त्रिफला चूर्णका सेवन करें, तथा लाल रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
कन्या राशि - हरे रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना शाम को पीये।
तुला राशि - सफेद बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करे।
वृश्चिक राशि- लाल रंग कि बोतल में धूप मे रखा पानी रोजाना रात को पीये।
धनु राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।
मकर राशि- त्रिफला चूर्ण का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये।
कुम्भ राशि- लौंग का सेवन करें, तथा नीले रंग कि बोतल में धूप में रखा पानी रोजाना रात्री को पीये।
मीन राशि- काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी का चूर्ण रात के भोजन के बाद ले, पीले रंग की बोतल में धूप मे रखा पानी सेवन करें।
क्यो हो रही है संतान में देरी?
मां बनना हर महिला का सपना होता है। परंतु कई प्रयासों एवं अधूरी जानकारी के कारण उनका यह स्वप्न देर से या कभी पूरा नहीं होता है। कभी-कभी गर्भ ठहरकर ही कुछ माह मे गर्भस्राव हो जाता है। बच्चा पैदा नहीं होता उसके दस कारण शास्त्रों में बताए गए हैं:उसमें यदि शुरु के नौ कारण न हो तो दसवां कारण ज्योतिष से संबंधित माना जाता है। पांचवा भाव यदि राहु, गुरु, शनि से ग्रस्त हो तथा इन पर किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि भी न हो तो संतान उत्पत्ति में परेशानी होती है, या गर्भस्राव होते हैं। ऐसे संबंधित ग्रहों के उपचार से संतान उत्पत्ति आसान हो सकती है। पंचम भाव में यदि गुरु स्थित हो तो संतान में देरी होती है, साथ ही यदि पति या पत्नी में से किसी को गुरु की महादशा भी हो तो संतान विवाह के सोलह वर्षों के बाद होने की संभावना होती है। पंचम भाव में यदि गुरु की दृष्टि हो तो संतान विवाह के 8-10 वर्षों के बाद उत्पन्न होती है। राहु या शनि से युक्त पंचम स्थान बार-बार गर्भस्राव या हिनता का कारक होता है।
क्या उपाय करें।
-संतान में देरी हो तो पुत्रदा एकादशी व्रत करें।
-हरिवंश पुराण का पाठ करें।
-कार्तिक चैत्र, माद्य माह में प्रतिपदा से नवमी (शुक्लपक्ष) रामायण का नवाह्नपरायण करें।
कैसे पाएं मनचाही नौकरी?
युवाओं के सामने कैरियर सबसे बड़ी समस्या भी है और चुनौती भी। कई युवाओं को योग्यता होने पर भी मनचाही नौकरी नहीं मिल पाती। इसका कारण भी समझ से परे रहता है। ज्योतिष के जरिए इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। जन्म पत्रिका देखकर इसका
उपाय किया जा सकता है। जन्म पत्रिका के तृतीय, पंचम, सप्तम, दशम एवं एकादश स्थान नौकरी एवं आय से संबधित होतेे है।अगर ये स्थान दूषित हों अथवा इन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो या इनमें कोई अशुभ ग्रह स्थित हो तो जातक को रोजगार मिलने में कठिनाई आती है। खासकर पंचम एवं सप्तम पूर्ण सुरक्षित होना चाहिए। इसके अलावा कुछ छोटे-छोटे उपाय करने से भी इस समस्या के समाधान में
सहायता मिलती है, परिस्थितियां हमारे अनुकुल बनती जाती है। क्या उपाय करे?-पंचम एवं सप्तम स्थान पर स्थित अशुभ ग्रह का उपचार करें।- राम रक्षा कवच का पाठ करें।- विघ्रहर्ता गणेश का दर्शन करें।- गाय को गुरुवार को हरा चारा दें।- शाम के वक्त शिवजी के मन्दिर में दीप दान करें।
कैसे मिले, मनपसंद वर?
कन्याओं को अधिकतम यह चिंता घर किए रहती है, कि पता नहीं ससुराल और पति कैसा मिलेगा। इसका हल पत्रिका के नवांश एवं त्रिशांश द्वारा
निकाला जा सकता है। पति के लिए ज्योतिष शास्त्र में सप्तम स्थान निर्धारित किया गया है। सप्तम स्थान में यदि शुभ ग्रह स्थापित हो या उस पर
शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो पति इच्छानुसार ही प्राप्त होता है, तथा ससुराल वाले भी सम्मान प्रदान करते हैं। इस स्थान पर गुरु, बुध, शुक्र इनमें से
कोई ग्रह हो तो विवाह उत्तम परिवार में होता है। इनकी दृष्टि भी यदि सप्तम स्थान पर पड़े तो कुलीन परिवार में कन्या विवाहित होती है। सप्तम
स्थान पर गुरू स्थित हो या उसकी दृष्टि हो तो विवाह में देरी होती है।- उत्तम विवाह के लिए गुरुवार का व्रत करें।- पुखराज धारण करें।- शिव पार्वती का पूजन करें।
महिलाएं कैसे बनाए कैरियर?
महिलाओं के लिए अब हर क्षेत्र में अवसर है। परंतु किस क्षेत्र में उन्हें सफलता मिलेगी। यह ज्योतिष शास्त्र की मदद से जान सकते हैं। जन्मकुंडली, नवांश, त्रिशांश के सहयोग से उन्हें किस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए ताकि पूर्णत: लाभ हो कैरियर के लिए सप्तम, पंचम, दशम एवं एकादश भाव माने जाते हैं। इन स्थानों पर सूर्य, बुध, शुक्र, गुरु, शनि अच्छे कैरियर की राह दिखाते हैं।सूर्य: प्रशासनिक, बुध: शिक्षा, अभिभाषक, लेखक, शुक्र: ग्लैमर, कार्पोरेट, गुरु: व्यवसाय, शनि: डॉक्टर, इंजीनियर, सीए आदि क्षेत्र में व्यापक सफलता दिलाता है। शनि कम्प्यूटर इंजीनियर एवं सिनेमा क्षेत्र में भी लाभदायक होता है। राहु यदि एकादश भाव में स्थित हो तो बार-बार नौकरी या व्यवसाय में परिवर्तन होता है तथा कहीं भी एक जगह रुककर कार्य नहीं कर पाते। अच्छे कैरियर के लिए यदि आप पूर्णत: योग्य है फिर भी आप को अपनी इच्छानुसार कार्य नहीं मिल रहा है तो विधिनुसार
श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करें या कराएं।
- श्री महाकाली का पूजन करें।-
कम से कम 5 गरीबों को भोजन कराएं।
- शनिवार को काले कुत्ते को दूध पिलाएं।
- अधिकतम सफेद वस्त्र पहनें।-
लाल रंग सम्मिलित सेंडिल या जूते पहनें।
- आभूषणों में लाल रंग प्रयोग करें। जैसे नेकलेस में लाल नग।
-सीधे हाथ की तरफ सूंड वाले सिद्धि विनायक श्री गणेशजी का दर्शन कर घर से निकले।
किस माह में जन्मी महिला कैसी?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्त्रियों का स्वभाव उनके जन्म के मास से भी जाना जा सकता है। यहां हम क्र म से इन हिन्दी मासों मे जन्म लेने वाली महिलाओं के स्वभाव की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
चैत्र मास: चैत्र मास में जन्म लेने वाली स्त्री वक्ता, होशियार, क्रोधी स्वभाव वाली, रतनारे नेत्र वाली, सुंदर रूप- गोरे रंग वाली, धनवान, पुत्रवती और सभी सुखों को पाने वाली होती है।
वैशाख मास: वैशाख मास में जन्म लेने वाली स्त्री श्रेष्ठ पतिव्रता, कोमल स्वभाव वाली, सुंदर हृदय, बड़े नेत्रों वाली, धनवान, क्रोध करने वाली तथा मितव्ययी होती है।
ज्येष्ठ मास: ज्येष्ठ मास में पैदा होने वाली स्त्री बुद्धिमान और धनवान, तीर्थ स्थानों को जाने वाली, कार्यों में कुशल और अपने पति की प्यारी होती है।
आषाढ़ मास: आषाढ़ मास में उत्पन्न स्त्री संतानवान, धन से हीन, सुख भोगने वाली, सरल और पति की दुलारी होती है।
श्रावण मास: श्रावण मास में जन्म लेने वाली पवित्र , मोटे शरीर वाली, क्षमा करने वाली, सुंदर तथा धर्मयुक्त और सुखों को पाने वाली होती है।
भाद्र मास: भाद्र मास में जन्म लेने वाली कोमल, धन पुत्रवाली, सुखी घर की वस्तुओं कि देखभाल करनेवाली, हमेशा प्रसन्न रहने वाली, सुशीला और मीठा बोलने वाली होती है।
आश्विन मास: आश्विन मास में जन्म लेने वाली स्त्री सुखी, धनी, शुद्ध हृदय गुण और रूपवती होती है, कार्यों में कुशल तथा अधिक कार्य करने वाली होती है।
कार्तिक मास: कार्तिक मास में जन्म लेने वाली स्त्री कुटिल स्वभाव कि, चतुर, झुठ बोलने वाली, क्रूर और धन सुख वाली होती है।
मागशीर्ष मास: मागशीर्ष में जन्म लेने वाली पवित्र , मिठे वचनों वाली, दया, दान, धन, धर्म करने वाली, कार्य में कुशल और रक्षा करने वाली होती है।
पौष मास: पौष मास में जन्म लेने वाली स्त्री पुरुष के समान स्वभाव वाली, पति से विमुख, समाज में गर्व तथा क्रोध रखने वाली होती है।
माघ मास: माघ मास में जन्म लेने वाली स्त्री धनी, सौभाग्यवान, बुद्धिमान संतान से युक्त तथा कटु पर सत्य वचन बोलने वाली होती है।
फाल्गुन मास: फाल्गुन मास में जन्म लेने वाली स्त्री सर्वगुणसंपन्न, ऐश्वर्यशाली, सुखी और संताति वाली तीर्थ यात्रा पर जाने वाली तथा कल्याणकरने वाली होती है।
हां संभव है गायब होना
हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु के दिखने के लिए प्रकाश का होना जरूरी है। इसी कारण सूर्य को आंखों का देवता भी माना जाता है। जब प्रकाश की किरणें किसी वस्तु पर पड़ती हैं तो वे परावर्तित होकर हमारी आंख की पुतलियों से टकराती हैं। आंख की पुतली से गुजरकर ये किरणें पीछे की ओर एक निश्चित दूरी पर उसका बिंब बनाती हैं। इस बिंब के साथ जो स्नायु जुड़े रहते हैं वे इसकी सूचना मस्तिष्क को देते हैं। जिससे उस वस्तु की आकृति हमें दिखाई देती है। किंतु योगिक साधना के जानकार के लिए यह क्रिया सुनिश्चित प्रणाली के तहत होती है। योगी एक ऐसी सिद्धि प्राप्त कर लेता है कि वह उपस्थित होते हुए भी किसी को दिखाई नहीं देता। योग की भाषा में इस क्षमता को अंतध्र्यान होना कहा जाता है। योगी अपनी सिद्धि के बल पर अपने शरीर का रंग ऐसा बना लेता है जिससे कि प्रकाश की किरणें परावर्तित ही नहीं होती। जिससे दूसरे लोगों की आंखों में उसका बिंब बनता ही नहीं है। इसी कारण उस योगी को कोई देख नहीं सकता। इसके अतिरिक्त योग शास्त्रों में गायब होने की एक अन्य विधि का भी उल्लेख मिलता है। सिद्ध योगी पंच तत्वों से बने अपने शरीर के अणु परमाणुओं को आकाश में बिखेर कर सूक्ष्म शरीर धारण कर लेता है। यह सुक्ष्म शरीर किसी को भी दिखाई नहीं देता। योगी सूक्ष्म शरीर से कुछ ही क्षणों में कितनी ही दूर आ जा सकता है। सिद्ध योगियों के पास इसी तरह की अनेक अद्भुत क्षमताएं होती हैं। ये अद्भुत सिद्धियां कोई जादु या चमत्कार नहीं है। यह सिद्धियां एक निश्चित वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत कार्य करती हैं। अष्टांग योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि ने गायब होने की इस यौगिक सिद्धि का उल्लेख अपने ग्रंथ में किया है। वे लिखते हैंकायरूपसंयमात् ..... अंतर्धानम्। (विभूति पाद सूत्र 21) यानि शरीर के रूप में संयम करने से जब उसकी ग्रहण शक्ति रोक ली जाती है। तब आंख के प्रकाश का उसके साथ संबंध न होने के कारण योगी अंतर्धान हो जाता है।
राहु किस घर में कैसा फल देता है?
राहु एक छाया ग्रह है, परंतु जन्म पत्रिका में यह जिस भाव स्थित होता है, उस स्थान को बेहद प्रभावित करता है। खासकर जब राहु की महादशा हो। जातक पूर्णत: असमंजस की स्थिती में आ जाता है। वह अच्छे-बुरे का विचार भी छोड देता है। जातक की रूचि विपरित कार्यों में हो जाती है।आइए जानते है किस घर में राहु क्या फल देता है...
१. प्रथम भाव- विजयी, कृपण, वैरागी, गुस्सैल, कमजोर मस्तिष्क।
२. द्वितिय भाव- द्वैष रखने वाला, झूठा, कड़वा बोलने वाला, मक्कार, धनवान।
३. तृतीय भाव- ताकतवर, अक्लमंद, उद्यमी, विवेकशील।
४. चतुर्थ भाव- मातृद्रोही, सुखहीन, झगडऩे वाला।
५. पंचम भाव- पुत्रवाला, सुखी, धनवान, कम अक्ल का।
६. षष्ठ भाव- ताकतवर, धैर्यशली, शत्रुविजयी, कर्मठ।
७. सप्तम भाव- अनेक विवाह, कपटी, व्यभिचारी, चतूर।
८. आठवां भाव- लम्बी आयु परंतु क ष्टकारी जीवन, गुप्त रोगी।
९. नवां भाव- भाग्यहीन, यात्रा करने वाला, मेहनती।
१0. दसवा भाव- नीच कर्म करने वाला, नशाखोर, वाचाल।
११. एकादश भाव- चोकस, छोटे कार्य करनेे वाला, लालची।
१२. द्वादश भाव- पैसा लुटानेवाला, जल्दबाज, चिंता।
अन्य ग्रहों पर विचार कर ही फलित करें।
शनि-राहु बनाएंगे डॉक्टर
चिकित्सा के क्षेत्र में सफलता पाने की चाह रखने वालों के शनि और राहु सहायक ग्रह होते हैं। शनि चिकित्सा के क्षेत्र में प्रवेश करवाता है। शनि लौह तत्व का कारक है तथा डॉक्टरों का अधिकतम कार्य लोहे से बने औजारों और मशीनों से ही होता है। शनि में साथ यदि राहु की भी सही स्थिति कुंडली में बन जाए तो व्यक्ति डॉक्टर होने के साथ-साथ शल्य चिकित्सक या विशेषज्ञ होता है।
चिकित्सा शिक्षा में बेहतर परिणाम कैसेयदि जातक की कुंडली में शनि कर्म, पराक्रम सप्तम आय स्थान में स्थित हो तो विद्यार्थी का रुझान फिजिक्स, कैमेस्ट्री, बॉयोलॉजी की तरफ होता है। यदि इन्हीं घरों में शनि उच्च का स्वग्रही या मित्र राशि में हो तो डॉक्टरी पेशे में उसको विशेष दक्षता प्राप्त होती है। शनि कमजोर हो तो थोड़ी सी अधिक मेहनत कर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
कैसे मिल सकती है चिकित्सा में ऊंचाई शनि का एक अन्य नाम है मंद अर्थात धीमा। वैसे तो धीमी शुरुआत को अच्छा माना जाता है। किंतु आज धीरे नहीं चला जा सकता। आप चिकित्सक हैं और आपको आपकी क्षमता के अनुसार नाम और दाम नहीं मिल रहा है तो आपको शनि का ही सहयोग लेना होगा। शनि ही आपको इस पेशे में नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। - आफिस में नीले पर्दे और हल्के रंग दीवार पर इस्तेमाल करें। - नीले रंग की प्लास्टिक की बोतल से पानी पीएं। - थोड़ा श्रम अधिक करें। - असहाय मरीजों की सहायता करें।कुछ ही दिनों में आपको इसका बेहतर परिणाम मिलने लगेंगे।
क्या होता है, मृत्युयोग?
भयभीत होने की आवश्यकता नहीं यह मृत्यु योग वह नहीं है, यह तो एक मुहूर्त का योग है। इस योग में कोई शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता। इस मुहूर्त में शुरू किया कार्य पूर्ण नहीं होता तथा मृत्यु तुल्य कष्ट देता है।यह योग दो प्रकार का होता है। जो नक्षत्र एवं वार के संयोग से बनता है। उसे नक्षत्र वारादि मृत्यु योग कहते है।रविवार के दिन अनुराधा, सोमवार को शमभिषा, बुधवार को अश्विनी, गुरुवार को मार्गशिर्ष, शुक्रवार को अश्लेषा, शनिवार को हस्त नक्षत्र हो तो नक्षत्र वारादि मृत्यु योग होता है।इसी प्रकार रविवार को प्रतिपदा, सोमवार ओर शुक्रवार को द्वितिया तिथि, बुधवार को तृतिया, गुरूवार को चतुर्थी तथा शनिवार को पूर्णिमा तिथि हो तो मृत्यु योग होता है।इस योग में किसी कार्य की शुरूआत करने से वह असफल होता है। उसके पूर्ण होने में सन्देह होता है, तथा वह मृत्यु के समान कष्ट प्रदान करता है।
क्या है दमरुका योग?
जन्म पत्रिका के यह सबसे असहनीय योगों में से एक है। प्राय: इस योग की चर्चा नहीं की जाती। यह एक ऐसा योग है, जिसको जानने के बाद व्यक्ति भयभीत हो जाता है। इसलिए प्राय: इस योग की सार्वजनिक चर्चा नहीं की जाती।इस योग में जन्म पत्रिका का अष्टम भाव कारक होता है। पत्रिका के अष्टम भाव में यदि मंगल नीच का साथ ही शनि की युति हो तो दमरुका योग होता है। द्वितीय भाव मे भी अशुभ ग्रह हो तथा अष्टम में शनि, मंगल, राहु कोई ग्रह हो तो दमरुका योग होता है। इस योग में जातक की मृत्यु बड़ी दर्दनाक होती है। मुख्यत: वह आग में दम घुटने से या पानी में दम घुटने पर या गला घुटने से मरता है। यदि अष्टम मंगल हो तथा उस पर सूर्य की दृष्टि पड़ रही हो तो सड़क दुर्घटना में मृत्यु का योग बनता है।नवांश कुंडली में भी यही स्थिति बनी हो तथा सूर्य की महादशा चल रही हो तो भी सड़क दुर्घटना का भय होता है।बचने का उपाय क्या ?
महामृत्युंजय का जाप।
शिवाभिषेक एवं पूजन।
ऊँ नम: शिवाय का सतत जाप।
महाकाल का अभिषेक।
इस संसार में अपवादों को छोड़कर हर व्यक्ति धनवान होना चाहता है। धन व्यक्ति को सुख, आनंद, सुविधा और सामाजिक सुरक्षा देता है। आज दुनिया में धनवान लोगों की संख्या इतनी कम है कि उनकी सूची बनाई जा सकती है। इसकी तुलना में गरीब लोगों की संख्या अधिक है। कुछ लोगों की आय इतनी है कि वह समाज में सम्मान और आदर्श जिंदगी जीते हैं। लेकिन तीनों ही वर्ग को देखें तो पाएंगे कि सभी में समान रू प से धन पाने की चाह होती है।
धन और आय के आधार पर लोगों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है - अत्यधिक धनी, उच्च मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग, गरीब और बहुत गरीब। यह अंतर देखकर यह विचार आना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसा क्यों है। जबकि सभी मानव समान है।
ऐसा भी नहीं है कि कोई व्यक्ति धन कमाने की पूरी कोशिश नहीं करता। जहां तक धन कमाने की बात है, हर व्यक्ति इच्छानुसार काम करने को स्वतंत्र होता है। यही कारण है कि कोई व्यक्ति ईमानदारी से धन प्राप्त करना चाहता है और कोई व्यक्ति धन के लिए अपराध का रास्ता चुन लेता है। धन कमाने के तरीकों के चुनाव के पीछे व्यक्ति के मानसिक विचारों का अंतर है। इसी अंतर को ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से जाना जा सकता है। व्यक्ति की जन्म कुण्डली में बनने वाले ग्रह योग से उसके अतीत और भविष्य में धनवान या धनहीन होने के कारणों को पहचाना जा सकता है।
धनयोग देखने के लिए जन्म कुण्डली का दूसरा, छठा और दसवां भाव महत्वपूर्ण होता है। इनके साथ ही ७ और ११ वां भाव के ग्रह योग भी देखे जाते हैं। जन्म कुंडली में दूसरा भाव खुद के द्वारा कमाए धन, छठा भाव ऋण से प्राप्त धन, और दसवां भाव नौकरी या रोजगार से कमाए धन का निर्धारक होता है।
धन के कारक ग्रह सूर्य और गुरु होते हैं। इसलिए सीधा सा नियम है कि जन्म कुण्डली में जब सूर्य और गुरु उच्च के हो और अच्छे भाव में बैठे हो तो वह व्यक्ति को धनवान बनाते हैं।
इसी प्रकार सूर्य और गुरु की उपस्थिति के आधार पर यदि दूसरे भाव के ग्रहयोग की स्थिति मजबूत होती है, तब पैतृक संपत्ति या निवेश द्वारा धन प्राप्त होता है।
जब छठा भाव दूसरे और दसवें भाव की तुलना में मजबूत होता है, तब ब्याज द्वारा धन की प्राप्ति होती है।
अगर दसवां भाव दूसरे और छठा से मजबूत होता है, तब व्यक्ति का अनेक स्त्रोतों से धन प्राप्ति होती है।
जब बारहवां भाव मजबूत स्थिति में हो तो व्यक्ति उधार लिया धन चुका नहीं पाता और ऋणी हो जाता है।
धन योग के लिए एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि सूर्य का शत्रुग्रह शनि दूसरे भाव में न बैठा हो और न उसकी दृष्टि हो। इसके साथ ही लग्र से दूसरे भाव और चंद्र के साथ उसका योग न बनता हो।
एक्सीडेन्ट से बचाए ज्योतिष
ज्योतिष शास्त्र द्वारा जाना जा सकता है कि हमे कोई वाहन या अन्य कोई दुर्घटना से कोई नुकसान तो नहीं? मंगल, शनि, राहु, सूर्य यह सब ग्रह अष्टम स्थान मे हों तथा इन पर कोई शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो तब इस तरह का योग बनाते हं। उपरोक्त चारों ग्रह में से कोई एक ग्रह भी पाप ग्रह से युक्त हो तो सड़क दुर्घटना का भय रहता है।पितृ दोष का विचार भी अष्टम भाव से किया जाता है, पितृदोष भी दुर्घटना का कारण होता हैं। स्त्री जाति की पत्रिका में उसके पति की आयु का विचार अष्टम भाव से होता है।नवांश कुंडली मे सूर्य मंगल यदि एक दूसरे पर दृष्टि रखते हों तो भी सड़क दुर्घटना का खतरा बनता है। राहु की महादशा हो तथा सूर्य या चंद्र अष्टम स्थित हो, तो भी यह खतरा बना रहता है।द्वितीय स्थान दूषित होने पर भी यह खतरा मंडराता है।
क्या है इससे बचने के उपाय?अष्टम स्थित अशुभ ग्रह का उपचार कराएं।श्री हनुमान जी का पूजन करें।शिवजी का अभिषेक करें।
..अगर बढ़ाना हो व्यापार-व्यवसाय
अगर आपका व्यापार-व्यवसाय मंदा चल रहा है। किसी भी काम के शुरू करने के बाद उसमें ऐसा लाभ नहीं मिलता जैसा सोच रहे हैं, दुकान खुब सजाधजा कर रखने पर भी उसमें ग्राहक नहीं आते तो अब चिंता की बात नहीं है। हम आपको ऐसे कुछ सिद्ध टोटके बता रहे हैं जिससे थोड़े से प्रयास से आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे। लेकिन इन प्रयोगों को करने से पहले आपको मन में कुछ बातें ठाननी पड़ेंगी। एक, हमेशा सत्य बोलेंगे, दूसरों का अहित नहीं करेंगे और तीसरा हमेशा अपना श्रेष्ठतम परिणाम देंगे। जब आप कोई टोटका प्रयोग में ला रहे हों तो इसके बारे में किसी को बताए नहीं, इससे टोटके का प्रभाव कम हो जाता है। इन टोटकों को आजमाइए, लाभ जरूर मिलेगा।
1. शनिवार को पीपल के पेड़ से एक पत्ता तोड़ लाएं, उसे धूप-बत्ती दिखाकर अपनी दुकान की गादी जिस पर आप बैठते हैं, उसके नीचे रख दें। सात शनिवार तक लगातार ऐसा ही करें। जब गादी के नीचे सात पत्ते इकट्ठे हो जाएं तो उन्हें एक साथ किसी तालाब या कुएं में बहा दें। व्यवसाय चल निकलेगा।
2. किसी ऐसी दुकान जो काफी चलती हो वहां से लोहे की कोई कील या नट आदि शनिवार के दिन खरीदकर, मांगकर या उठाकर ले आएं। काली उड़द के 10-15 दानों के साथ उसे एक शीशी में रख लें। धूप-दीप से पूजाकर ग्राहकों की नजरों से बचाकर दुकान में रख लें। व्यवसाय खुब चलेगा।
3. शनिवार को सात हरी मिर्च और सात नींबू की माला बनाकर दुकान में ऐसे टांगें कि उस पर ग्राहक की नजर पड़े।
मेरा नाम अमित है और राशि का नाम महेन्द्र जन्म तिथि 21/01/1995 समय 08:00 प्रात: काल | मै उत्तर प्रदेश भारत से हूं मै घर मे बहुत परेशान रहता हू आपस मे घर वालो मे ही लडाई झगडे होते रहते है हमेशा कलह रहती है और मै घर वालो को खुश नही रख पा रहा हू ..कोई उपाये बताये जिससे घर मे शांती रहे उपाये बताने के लिए मै आपका आजीवन आभारी रहुंगा धन्यवाद
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Deleteamit206130@gmail.com